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अर्चना श्रीवास्तव
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क्या लिखूं मैं
क्या लिखूं मैं? एक सवाल जो समाज की हर परत को छूता है—दर्द, भेदभाव, गरीबी और इंसानियत की गूंजती पुकार।

अर्चना श्रीवास्तव
11 अप्रैल1 मिनट पठन
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तुम भाव मेरे – एक भावपूर्ण हिंदी प्रेम कविता
तुम भाव मेरे – एक कविता जो प्रेम, आत्मा और रिश्तों की गहराई को शब्दों में पिरोती है। पढ़ें और भावों से जुड़ें।

अर्चना श्रीवास्तव
5 अप्रैल1 मिनट पठन
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फाल्गुनी बयार
फाल्गुनी बयार के स्पर्श से पेड़-पौधे मुस्कराने लगे, कोहरे की चादर हटी, मोजरें महक उठीं, और हवाओं में नई ऊर्जा जाग उठी।

अर्चना श्रीवास्तव
2 मार्च1 मिनट पठन
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यहीं ठहर जा
खुला आसमान, हरियाली, पक्षियों का संग। सुबह की किरण, शाम की लालिमा—सुकून से भरा हर पल। मन कहता है—यहीं ठहर जा।

अर्चना श्रीवास्तव
15 फ़र॰1 मिनट पठन
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विरासत
विरासत संपत्ति नहीं, प्रेम, स्नेह और कर्मयोगी बनने का सबक है। बच्चों को आत्मनिर्भर बनने का मंत्र दीजिए, यही सच्ची विरासत है।

अर्चना श्रीवास्तव
9 फ़र॰1 मिनट पठन
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अरमान
ज़िन्दगी है छोटी अरमान हैं बड़े पूरे करूं भी तो कैसे | ये बढ़ती हुई मन की रोशनी ये ढलती हुई सांझ समय को पकड़ कर रक्खूँ भी तो कैसे । ये...

अर्चना श्रीवास्तव
9 फ़र॰1 मिनट पठन
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एहसास
कभी-कभी अपने होने पर भी भ्रम होता है । मै-मैं ही हूं या कोई और , सोचती कुछ हूं ,बोलती कुछ हूं, मतलब कुछ और निकलता है । हकीकत कुछ और...

अर्चना श्रीवास्तव
3 फ़र॰1 मिनट पठन
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रास्ते
चल पड़े जिस रास्ते, अभी इन रास्तो में उलझनें बहुत है । अभी तो उलाहने बाकी है अभी तो नाराज़गी बाकी है अभी तो सुनना बाकी है अभी तो सुनाना...

अर्चना श्रीवास्तव
28 दिस॰ 20241 मिनट पठन
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सोच
हमेशा तुम अपनी सोचते हो, कभी मेरे लिए सोच कर तो देखो । उलझने कभी आप की कम नही होती कभी मेरी उलझने सुलझा कर तो देखो । वक्त...

अर्चना श्रीवास्तव
28 दिस॰ 20241 मिनट पठन
58 दृश्य
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