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अर्चना श्रीवास्तव
खोज करे


जीवन का प्रश्न
क्यों जन्म हुआ मेरा? क्या इसका उद्देश्य बतलाना है? यह कविता जीवन के सबसे गहरे प्रश्नों को उठाती है जो हर संवेदनशील व्यक्ति के मन में कभी न कभी आते हैं। अस्तित्व की खोज में एक मार्मिक यात्रा।
अर्चना श्रीवास्तव
17 अग॰1 मिनट पठन


धर्म
"एक हो ईश्वर तुम, एक ही आकार हो" - अर्चना श्रीवास्तव जी की यह मार्मिक कविता धार्मिक एकता का संदेश देती है। जानिए कैसे मजहब ने हमें बाँटा है और कैसे हम सभी एक ही परमपिता की संतान हैं।
अर्चना श्रीवास्तव
1 अग॰1 मिनट पठन


शून्य
माताओं के रूप में व्यस्त जीवन में आत्मिक शांति पाना असंभव लग सकता है। अर्चना श्रीवास्तव की सुंदर हिंदी कविता 'शून्य' हमारे संघर्षों को मान्यता देती है और आध्यात्मिक सुकून की दिशा में प्रेरणा देती है। हर पारिवारिक महिला के लिए जरूरी।
अर्चना श्रीवास्तव
1 अग॰1 मिनट पठन


क्या लिखूं मैं
क्या लिखूं मैं? एक सवाल जो समाज की हर परत को छूता है—दर्द, भेदभाव, गरीबी और इंसानियत की गूंजती पुकार।
अर्चना श्रीवास्तव
11 अप्रैल1 मिनट पठन


तुम भाव मेरे – एक भावपूर्ण हिंदी प्रेम कविता
तुम भाव मेरे – एक कविता जो प्रेम, आत्मा और रिश्तों की गहराई को शब्दों में पिरोती है। पढ़ें और भावों से जुड़ें।
अर्चना श्रीवास्तव
5 अप्रैल1 मिनट पठन


फाल्गुनी बयार
फाल्गुनी बयार के स्पर्श से पेड़-पौधे मुस्कराने लगे, कोहरे की चादर हटी, मोजरें महक उठीं, और हवाओं में नई ऊर्जा जाग उठी।
अर्चना श्रीवास्तव
2 मार्च1 मिनट पठन


यहीं ठहर जा
खुला आसमान, हरियाली, पक्षियों का संग। सुबह की किरण, शाम की लालिमा—सुकून से भरा हर पल। मन कहता है—यहीं ठहर जा।
अर्चना श्रीवास्तव
15 फ़र॰1 मिनट पठन


विरासत
विरासत संपत्ति नहीं, प्रेम, स्नेह और कर्मयोगी बनने का सबक है। बच्चों को आत्मनिर्भर बनने का मंत्र दीजिए, यही सच्ची विरासत है।
अर्चना श्रीवास्तव
9 फ़र॰1 मिनट पठन


अरमान
ज़िन्दगी है छोटी अरमान हैं बड़े पूरे करूं भी तो कैसे | ये बढ़ती हुई मन की रोशनी ये ढलती हुई सांझ समय को पकड़ कर रक्खूँ भी तो कैसे । ये...
अर्चना श्रीवास्तव
9 फ़र॰1 मिनट पठन


एहसास
कभी-कभी अपने होने पर भी भ्रम होता है । मै-मैं ही हूं या कोई और , सोचती कुछ हूं ,बोलती कुछ हूं, मतलब कुछ और निकलता है । हकीकत कुछ और...
अर्चना श्रीवास्तव
3 फ़र॰1 मिनट पठन


रास्ते
चल पड़े जिस रास्ते, अभी इन रास्तो में उलझनें बहुत है । अभी तो उलाहने बाकी है अभी तो नाराज़गी बाकी है अभी तो सुनना बाकी है अभी तो सुनाना...
अर्चना श्रीवास्तव
28 दिस॰ 20241 मिनट पठन


सोच
हमेशा तुम अपनी सोचते हो, कभी मेरे लिए सोच कर तो देखो । उलझने कभी आप की कम नही होती कभी मेरी उलझने सुलझा कर तो देखो । वक्त...
अर्चना श्रीवास्तव
28 दिस॰ 20241 मिनट पठन
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