जीवन का प्रश्न
- अर्चना श्रीवास्तव

- 17 अग॰
- 1 मिनट पठन

क्यों जन्म हुआ मेरा?
क्या इसका उद्देश्य बतलाना है?
क्या व्यर्थ ही बीते जीवन,
या कुछ अमिट निशान छोड़ जाना है?
क्यों घिरी हूँ अवसाद में?
क्या यूँ ही खो जाना है?
यह बसंत है या भ्रम पतझड़ का?
क्या सच में मुरझाना है?
क्यों यह जीवन मिला मुझे,
क्या इसका अर्थ समझाना है?
संघर्षों का राह चुनूँ क्या,
या यूँ ही उलझी रहूँ अँधेरों में?
क्या ठहर जाना ही मंज़िल है,
या चलना है सपनों के सवेरों में?
दुनिया कहती है, "ठहरो ज़रा,
किस जल्दी में हो यूँ भागते?"
जो देखा था, कभी आँखों से जागते,
उन आँखों के अधूरे सपने
जो वक़्त की मार से बुझ गए,
क्या अब मैं उन्हें जी पाऊँ,
जो उनके होठों पर रुक गए?
क्यों जन्म हुआ मेरा?
क्या रुक जाना ही मंज़िल है?
चाह नहीं इस जीवन को,
कोई इसकी तारीफ़ करे।
उन सपनों को पूरा करने में,
थोड़ा तो सहयोग करे।
क्यों जन्म हुआ मेरा?
क्या इसका उद्देश्य बतलाना है?


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