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  • लेखक की तस्वीर: अर्चना श्रीवास्तव
    अर्चना श्रीवास्तव
  • 15 फ़र॰
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A vibrant yellow flower field stretches under a tranquil blue sky, evoking peace and freedom.
एक जीवंत पीले फूलों का मैदान शांत नीले आकाश के नीचे फैला हुआ है, जो शांति और स्वतंत्रता की भावना जगाता है।

ऊपर खुला आसमान,

मुक्त भाव में उड़ते पक्षी,

सामने मीलों फैली हरियाली

ये मन कहता है- यहीं ठहर जा।


सामने बबूल का पेड़,

उस पर फैले पीले फूल,

छत की मुंडेर पर बैठी

गौरैया और मैना का झुंड

ये मन कहता है यहीं ठहर जा।


शोरगुल और भागमभाग से दूर

सुकून से भरा बीतता वक्त,

सुबह सूरज की पहली किरण,

शाम को सूरज की लालिमा

फैल जाती है खुले छत पर

ये मन कहता है यहीं ठहर जा ।

  • लेखक की तस्वीर: अर्चना श्रीवास्तव
    अर्चना श्रीवास्तव
  • 9 फ़र॰
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ये विरासत भी क्या चीज है

अगर मकान है, खेत है,

तो बन गया अखाड़ा।

भाई-भाई के दिलों में

खींची हुई नफरत की लकीर

अपनों का अपनों पर

उठी हुई ऊंगलियां

आंखों पर पड़े हुए

लालच का पर्दा


ये विरासत------------

अगर विरासत ये है तो

मत दीजिए। अपने बच्चों को

देना है, तो दीजिए प्रेम और

स्नेह करने का तरीका।

अगर देना है तो दीजिए

कर्मयोगी बनने का सीख

स्वयं को सक्षम करने का मंत्र।

ये विरासत भी क्या चीज है।

  • लेखक की तस्वीर: अर्चना श्रीवास्तव
    अर्चना श्रीवास्तव
  • 9 फ़र॰
  • 1 मिनट पठन


ज़िन्दगी है छोटी

अरमान हैं बड़े

पूरे करूं भी तो कैसे |


ये बढ़ती हुई मन की रोशनी

ये ढलती हुई सांझ

समय को पकड़ कर रक्खूँ भी तो कैसे ।


ये बढ़ते हुए कर्तव्य

ये जुड़े हुए सम्बन्ध

ये छूटती हुई जीवन की डोर

पकड़कर रक्खूँ भी तो कैसे |


ये मन का विश्वास

कि आने वाली पीढ़ी के लिए

कुछ कर के जाऊँ

लेकिन करूँ भी तो कैसे ।

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