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अर्चना श्रीवास्तव
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मुखर-मौन – श्री हीरालाल अमृत पुत्र का भावपूर्ण काव्य संग्रह
‘मुखर-मौन’ श्री हीरालाल अमृत पुत्र का अद्वितीय काव्य-संग्रह है, जिसमें प्रेम, मातृत्व, देशभक्ति और आत्मिक ऊर्जा की झलक मिलती है। उनकी कविताएं भावों की गहराई में उतरती हैं और पाठक के मन को छू जाती हैं। संग्रह में “भावी बहु के प्रति” जैसी रचनाएं आत्मीयता से भरपूर हैं। यह पुस्तक पाठकों को न केवल संवेदना प्रदान करती है, बल्कि उन्हें सत्कर्म व देशप्रेम की ओर प्रेरित भी करती है।

अर्चना श्रीवास्तव
12 अप्रैल2 मिनट पठन
15 दृश्य
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क्या लिखूं मैं
क्या लिखूं मैं? एक सवाल जो समाज की हर परत को छूता है—दर्द, भेदभाव, गरीबी और इंसानियत की गूंजती पुकार।

अर्चना श्रीवास्तव
11 अप्रैल1 मिनट पठन
24 दृश्य
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यहीं ठहर जा
खुला आसमान, हरियाली, पक्षियों का संग। सुबह की किरण, शाम की लालिमा—सुकून से भरा हर पल। मन कहता है—यहीं ठहर जा।

अर्चना श्रीवास्तव
15 फ़र॰1 मिनट पठन
22 दृश्य
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एहसास
कभी-कभी अपने होने पर भी भ्रम होता है । मै-मैं ही हूं या कोई और , सोचती कुछ हूं ,बोलती कुछ हूं, मतलब कुछ और निकलता है । हकीकत कुछ और...

अर्चना श्रीवास्तव
3 फ़र॰1 मिनट पठन
31 दृश्य
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रास्ते
चल पड़े जिस रास्ते, अभी इन रास्तो में उलझनें बहुत है । अभी तो उलाहने बाकी है अभी तो नाराज़गी बाकी है अभी तो सुनना बाकी है अभी तो सुनाना...

अर्चना श्रीवास्तव
28 दिस॰ 20241 मिनट पठन
24 दृश्य
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सोच
हमेशा तुम अपनी सोचते हो, कभी मेरे लिए सोच कर तो देखो । उलझने कभी आप की कम नही होती कभी मेरी उलझने सुलझा कर तो देखो । वक्त...

अर्चना श्रीवास्तव
28 दिस॰ 20241 मिनट पठन
58 दृश्य
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