top of page
इहिताकृति
अर्चना श्रीवास्तव
All Posts
कविता
समीक्षा
खोज करे
एहसास
कभी-कभी अपने होने पर भी भ्रम होता है । मै-मैं ही हूं या कोई और , सोचती कुछ हूं ,बोलती कुछ हूं, मतलब कुछ और निकलता है । हकीकत कुछ और...
अर्चना श्रीवास्तव
3 फ़र॰
1 मिनट पठन
bottom of page