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अर्चना श्रीवास्तव
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कामरेडो को मूर्तिपूजा नही आती - श्री माधव कृष्ण जी का 'काव्य-संग्रह'
"कामरेडो को मूर्तिपूजा नहीं आती", श्री माधव कृष्ण की कविताएं समाज की गहराइयों में उतरती हैं — धर्म, राजनीति, गरीबी और मानवीय संवेदनाओं पर एक सशक्त दृष्टि डालती हुईं। हर कविता सोचने पर विवश करती है और पाठक को आत्ममंथन की ओर ले जाती है। इस संग्रह की कुछ पसंदीदा पंक्तियाँ और मेरी व्यक्तिगत अनुभूति इस ब्लॉग में साझा कर रही हूं।

अर्चना श्रीवास्तव
8 जुल॰1 मिनट पठन


मुखर-मौन – श्री हीरालाल अमृत पुत्र का भावपूर्ण काव्य संग्रह
‘मुखर-मौन’ श्री हीरालाल अमृत पुत्र का अद्वितीय काव्य-संग्रह है, जिसमें प्रेम, मातृत्व, देशभक्ति और आत्मिक ऊर्जा की झलक मिलती है। उनकी कविताएं भावों की गहराई में उतरती हैं और पाठक के मन को छू जाती हैं। संग्रह में “भावी बहु के प्रति” जैसी रचनाएं आत्मीयता से भरपूर हैं। यह पुस्तक पाठकों को न केवल संवेदना प्रदान करती है, बल्कि उन्हें सत्कर्म व देशप्रेम की ओर प्रेरित भी करती है।

अर्चना श्रीवास्तव
12 अप्रैल2 मिनट पठन


यात्रियों के नजरिये में शाहाबाद
यह पुस्तक शाहाबाद के ऐतिहासिक यात्राओं, जेम्स रेनेल के नक्शों, बुकानन की रिपोर्ट व सांस्कृतिक धरोहरों का रोचक दस्तावेज़ है।

अर्चना श्रीवास्तव
11 मार्च4 मिनट पठन


जइसे आमवाँ के मोजरा से रस चुवेला – भोजपुरी निबंध संग्रह की सजीव समीक्षा
भगवती प्रसाद द्विवेदी का 'जइसे आमवाँ के मोजरा से रस चुवेला' – भोजपुरी निबंध संग्रह, जहाँ लोकगीत, कहावतें और समाज की जीवंत झलक मिलती है।

अर्चना श्रीवास्तव
1 मार्च3 मिनट पठन


बलिया बिसरत नाही - समीक्षा
श्री रामबदन राय जी की 'बलिया बिसरत नाही' में बलिया के इतिहास, संस्कृति और अद्भुत व्यक्तित्वों को खूबसूरती से प्रस्तुत किया गया है।

अर्चना श्रीवास्तव
3 फ़र॰3 मिनट पठन


चकविलियम का डाक्टर - समीक्षा
किताब - चकविलियम का डाक्टर विधा - कहानी लेखक - श्री नरेंद्र शास्त्री 'चकविलियम का डॉक्टर' पढ़ते ही मानस पटल पर अतीत की यादें उभर आती हैं।...

अर्चना श्रीवास्तव
11 जन॰4 मिनट पठन
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